Rekha mishra

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लेखनी प्रतियोगिता -27-Apr-2022

           कशमकश 
कशमकश खत्म होती नहीं 
के उम्र के कई पड़ाव गुजर गए। 
किसे अपना कहे किसे पराया 
के जिंदगी के कई हसीन मंजर 
गुजर गए। 
दुनिया के दस्तूर में एक ये भी 
है कि हम बहुतो के दिल में 
केवल तब तक रहे जब तक 
जरूरी था, 
हम खुद नहीं समझ पाये के 
ऐसा क्या हुआ हम कब कैसे 
उनके दिल से निकल गए। 
कई बार सोचते हैं कि तो 
भलाई ही थी, 
खैर दुनिया के हर रिवाज
कि तरह भलाई करने 
वालों का अंजाम बुरा होगा 
हम तो उस अन्जाम से भी 
गुज़र गए। 

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12 Comments

Seema Priyadarshini sahay

28-Apr-2022 09:07 PM

बहुत खूबसूरत रेखा जी

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Punam verma

28-Apr-2022 01:44 PM

Nice

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Shrishti pandey

28-Apr-2022 09:05 AM

Nice

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